22 दिसंबर, 2012

दरिंदगी

शरीर मैं नासूर सा 
इस समाज में जन्मा 
कैसा  यह दरिंदा 
जिसने सारे नियम तोड़ 
सारी कायनात को 
शर्मसार कर दिया 
उसकी सबसे हसीन  कृति को 
उसकी  अस्मिता को निर्लज्ज  हो 
दानव की तरह तार तार कर दिया
एक पल को भी नहीं सोचा 
वह भी किसी की कुछ लगती होगी 
माँ,बहन पत्नी सी होगी 
प्रेमिका  यदि हुई किसी की 
अस्मत फिर भी महफ़ूज़ होगी 
किसी की अमानत होगी 
बहशियाना हरकत से 
वह क्या कर गया ?
सजा फांसी की भी
कम है उसके लिए 
इससे भी कड़ी
सजा का हकदार है वह 
इस  घिनोनी हरकत का
 इस दरिंदगी का हश्र
कुछ  तो असर होगा 
जब अन्य युवा देखेंगे हश्र 
उसकी  दरिंदगी का |






12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब हर शब्द मैं दर्द

    मेरी नई रचना पर जरुर नजर रखें
    खूब पहचानती हूँ मैं तुम को
    http://dineshpareek19.blogspot.in/

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  2. बहुत सुन्दर लिखा है और सही लिखा !
    मेरी नई पोस्ट : "गांधारी के राज में नारी !"

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  4. एकदम सटीक कहा है आपने..
    कुछ बड़ा ही कदम होना चाहिए जिससे औरो को भी सबक मिले..कुछ भी गलत करने के पहले अपने अंजाम सोच ले....
    बेहद मार्मिक रचना...

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  5. आकोश से भरी संवेदनशील रचना ! बहुत अच्छा लिखा है !

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  6. ऐसे लोगों को कुत्सित कर लंबा जीवन जीने दें -एक उदाहरण बना कर!

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  7. फांसी से तो मुक्ति मिल जाएगी ...कुछ ऐसी सजा हो जो तिल तिल जलें ।

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  8. कानुन कडे बने तो इसका दुरुपयोग भी आसानी से किया जायेँगा क्योकि आज पैँसा ही सबकुछ हैँ ऐँसे मेँ कोइ भी लडकी किसी को अपने त्रिया चरित्र के जाल मेँ फसाकर मौत दिला सकेँगी ..ये गलत होगा लेकिन इनहे रोकने के लिए ये करना आँवश्यक हैँ ।

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  9. फांसी जरूर हो पर उससे पहले उसी तरह टार्चर किया जाए तभी ऐसा सोचने वालों के दिल में डर होगा वरना कुछ भी सजा दो कोई असर नहीं होने वाला मरने के डर से बड़ा डर और कोई नहीं

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