शरीर मैं नासूर सा
इस समाज में जन्मा
कैसा यह दरिंदा
जिसने सारे नियम तोड़
सारी कायनात को
शर्मसार कर दिया
उसकी सबसे हसीन कृति को
उसकी अस्मिता को निर्लज्ज हो
दानव की तरह तार तार कर दिया
एक पल को भी नहीं सोचा
वह भी किसी की कुछ लगती होगी
माँ,बहन पत्नी सी होगी
प्रेमिका यदि हुई किसी की
अस्मत फिर भी महफ़ूज़ होगी
किसी की अमानत होगी
बहशियाना हरकत से
वह क्या कर गया ?
सजा फांसी की भी
कम है उसके लिए
कम है उसके लिए
इससे भी कड़ी
सजा का हकदार है वह
सजा का हकदार है वह
इस घिनोनी हरकत का
इस दरिंदगी का हश्र
इस दरिंदगी का हश्र
कुछ तो असर होगा
जब अन्य युवा देखेंगे हश्र
उसकी दरिंदगी का |
बिलकुल सही कहा आंटी
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब हर शब्द मैं दर्द
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना पर जरुर नजर रखें
खूब पहचानती हूँ मैं तुम को
http://dineshpareek19.blogspot.in/
बहुत सुन्दर लिखा है और सही लिखा !
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट : "गांधारी के राज में नारी !"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
मार्मिक भावाभिवय्क्ति..
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक कहा है आपने..
जवाब देंहटाएंकुछ बड़ा ही कदम होना चाहिए जिससे औरो को भी सबक मिले..कुछ भी गलत करने के पहले अपने अंजाम सोच ले....
बेहद मार्मिक रचना...
आकोश से भरी संवेदनशील रचना ! बहुत अच्छा लिखा है !
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों को कुत्सित कर लंबा जीवन जीने दें -एक उदाहरण बना कर!
जवाब देंहटाएंफांसी से तो मुक्ति मिल जाएगी ...कुछ ऐसी सजा हो जो तिल तिल जलें ।
जवाब देंहटाएंकानुन कडे बने तो इसका दुरुपयोग भी आसानी से किया जायेँगा क्योकि आज पैँसा ही सबकुछ हैँ ऐँसे मेँ कोइ भी लडकी किसी को अपने त्रिया चरित्र के जाल मेँ फसाकर मौत दिला सकेँगी ..ये गलत होगा लेकिन इनहे रोकने के लिए ये करना आँवश्यक हैँ ।
जवाब देंहटाएंहाँ! अब की बार इन्साफ होगा
जवाब देंहटाएंफांसी जरूर हो पर उससे पहले उसी तरह टार्चर किया जाए तभी ऐसा सोचने वालों के दिल में डर होगा वरना कुछ भी सजा दो कोई असर नहीं होने वाला मरने के डर से बड़ा डर और कोई नहीं
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