भयावह काली रात में
विचारों का सैलाव है
एक अजनवी साया
चारों ओर से घेरे है |
अनसुनी आवाज
बहुत दूर से आती है
एक कहानी लुका छिपी करती
फिर लुप्त हो जाती है |
पर जिन्दगी खामोश है
ना कोइ आस ना उमंग
न जाने क्या सोच है
मन में बहुत आक्रोश है |
मन में बहुत आक्रोश है |
यह शाम यहीं तो
नहीं थम जाएगी
काली रात के बाद
कभी तो सुबह आएगी |
दूर सड़क पर
है कुछ गहमागहमी
पर रात के अँधेरे में
यहाँ भी सन्नाटा होगा|
|
क्या यही भयावह स्वप्न
मुझ से दूर हो पाएगा
इस तन्हाई में
सजीव रंग भर पाएगा |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-03-2014) को "सैलाव विचारों का" (चर्चा मंच-1548) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु आभार सर |
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति को आज कि फटफटिया बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार सर |
हटाएंबहुत ही सुंदर आदरणीय , कभी न कभी तो ये गम के बादल हटते ही हैं , धन्यवाद ॥ जय श्री हरि: ॥
जवाब देंहटाएंप्रतिभागी - श्री राजेश कुमार मिश्रा ( आयुर्वेदाचार्य ) ~ रोग आपका इलाज हमारा ~
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंटिप्पणी हेतु आभार सर |
हटाएंबहुत ही सुन्दर ! बड़ी खूबसूरत अभिव्यक्ति ! बधाई स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंबधाई हेतु धन्यवाद |
हटाएंजज़बातों से लबालब उमरी हुई आपकी ये बहुत ही लाज़वाब रचना। हार्दिक बधाई ऐसी लेखनी हेतु।
जवाब देंहटाएंबधाई हेतु धन्यवाद अभिषेक जी |
हटाएंक्या यही भयावह स्वप्न
जवाब देंहटाएंमुझ से दूर हो पाएगा
इस तन्हाई में
सजीव रंग भर पाएगा ..........इसी आश में सब जीते है ....सुन्दर
टिप्पणी हेतु धन्यवाद कौशल जी |
हटाएंआशा बनाए रहें , मंगलकामनाएं आपको !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सतीश जी |
हटाएंइसी आशा को जीवित रखने की जरूरत है आज ... सुन्दर भाव ...
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंहर काली रात की भी सुबह तो होती ही है। ओर कुछ रातें भी चांदनी वाली होती हैं। आपका और मेरा तो नाम ही आशा है।
जवाब देंहटाएंप्रिय आशा जी अपने नाम भी सामान और शौक भी |आपकी टिप्पणी केलिए धन्यवाद \
हटाएंएकाकी मन की बहुत भावपूर्ण और सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद कैलाश जी |
हटाएं