बधाई
जब पहला
कदम रखा दुनिया में
ख़ुशी चारो ओर
फैली
पहला शब्द
माँ कहा मौसी हुई निहाल
क्यूँ न
चूम लूं तुम्हें
तुमसी बिटिया पा कर
दी बधाई तुम्हारी जननी को
दिन प्रति
दिन प्रगति हुई
ठुमक ठुमक चलना सीखा
दौड़ती
फिरती आँगन में
सतरंगी फ्राक पहन कर
गोल गोल घूमती
एक उंगली
का नृत्य दिखाती
माँ लेती
उसकी बलाएं
सब देते
बधाई देख तुम्हारी चतुराई
कोई
प्यारी बहना कहता कोई दुलारी बिटिया
पहला दिन
स्कूल जाने का
नया परिधान सिलवाया
नया परिधान सिलवाया
नया बस्ता नई पट्टी कॉपी किताब पेन्सिल
जाने से पहले माँ ने
टीका लगा भगवान से दुआ मांगी
बाक़ी सब
ने दी बधाई
नए स्कूल में जाने के लिए
थकी हारी
शाला से लौटी
सब ने पूंछा हाल
बातें बढ़
चढ़ कर सुनाई
पट्टीपूजन
के बाद पहला अक्षर “अ”
जो लिखा
था वही सब को दिखलाया
देते रहे
सब बधाई
बिटिया ने क्या कुशाग्र बुद्धि पाई |
आशा
अरे वाह ! बहुत सुन्दर प्यारी सी रचना ! बचपन की बहुत सारी बातें जीवंत हो उठीं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत सुंदर रचना आदरणीया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार स्वेता जी |
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जवाब देंहटाएंवाह आशा जी, एक बार को तो मानों मैं अपनी बिटिया के बचपन में पहुँच गयी। जीवंत काव्य चित्र बिटिया के बहाने से , 👌👌👌👌🙏🙏🙏
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सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद रेनू दी इतनी प्यारी सी टिप्पणी के लिए |