बीता कल यादों में सिमटा
आनेवाले कल का कोई पता नहीं
तब किया वर्तमान में जीने का विचार
हर पल है वेश कीमती |
वर्तमान भी बहुत बड़ा है
जाने कब क्या हो जाए
मैं नहीं जानती जानना भी नहीं चाहती
मुझे इस पल मैं ही जीना है |
सारे स्वप्न पूर्ण करने हैं
कहीं अधूरे न रह जाएं
बहुत अरमां से जिन्हीं सजाया
कहीं हाथों से फिसल ना जाएं |
जाने कब आस का पंछी
पंख फैला कर नीलाम्बर में
किस ओर उड़ कर जाएगा
नहीं जान पाई अब तक |
मुझे मार्ग भी खोजना है
क्या किया है? क्या करना है ?
पल बहुत छोटा है
पलक
झपकते ही गुम हो जाएगा |
जो अरमां सजाए हैं
पूर्ण उन्हें किस प्रकार करूँ
है बहुत जल्दी मार्ग खोजने की
पर ईश्वर के हाथ है सब कुछ
वही उलझन सुलझाएगा |
आशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 23 नवम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार जी |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२४ -११ -२०१९ ) को "जितने भी है लोग परेशान मिल रहे"(चर्चा अंक-३५२९) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद रिषभ जी |
जी सच कहा है आपने ... पल जो हा बहुत छोटा है ... इश्वर के हाथ में ही सब कुछ है ...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
वाह!!बहुत खूब !!आशा जी ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुभा जी टिप्पणी के लिए |
आगे भी जाने ना तू, पीछे भी जाने ना तू, जो भी है बस यही इक पल है ! सुन्दर विचार ! जो पल है सामने उसे भरपूर जीना ही चाहिए ! सुन्दर रचना ! !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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