हिन्दी
हिन्द के माथे की बिंदी
दमक रही ऐसी कि
उस की शोभा पर
नजर नहीं टिकती
उसके आगे अब तो
सब की रंगत फीकी
सोलह सिंगार अधूरे
लगते उसके बिना
तभी तो बनी सिरमोर हिन्दी
यहाँ सभी भाषाओं की
हमें है गर्ब अपनी
भाषा हिन्दी पर
है सरल बौधगम्य
कठिन नहीं व्याकरण इसकी |
आशा
सच है हिन्दी से बढ़ कर सुन्दर अन्य कोई भाषा नहीं !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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