आओ खेले खेल
 राधा और कान्हां  का 
तुम मेरी राधा बन
जाओ 
मैं हूँ  तुम्हारा कान्हा |
बरसाने से जल भरने
आई पनिहारन  
पर मान लिया मैंने
शक्ति अपनी तुम्हें 
तुमने मुझे क्या
समझा | 
  भोलाभाला
नन्हा सा  चोर माखन का 
या करील की  झाड़ियों में   छिपे किशोर
  मोहन बंसीवाले
 की छवि देखि है मुझमें 
कैसा रूप देखना
चाहोगी मेरा  आज के  खेल में |
मन मोहन मैं कुछ भी
नहीं चाहती तुमसे 
इस बाँसुरी के सिवाय
क्यूँ कि 
 वह तुम्हे लगती है अधिक  प्यारी मुझसे
वह सौतन सी लगती है
मुझे  |  

बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंक्या बात है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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