कैसे रहते इस दुनिया
में अकेले
कोई तो चाहिए था साथ
के लिए
हमारे जैसी सोच का मालिक होता
हम कदम होता हर पल साथ
देता |
जीवन सरल नहीं है
जानता सुख दुःख पहचानता
इस दुनिया में रहने
के लिए जूझना पड़ता
संघर्ष के बिना कुछ
भी हांसिल नहीं होता
वर्तमान में सफलतम जीवन
जीने के लिए|
ईश्वर पर श्रद्धा का होना है आवश्यक
अंध विश्वास से दूरी
रख कर चलना होता
सामान्य सोच नहीं देता
यह सदबुद्धि
विरले ही होते योग्य और सफल जीवन में |
जो हर कष्ट सहन करने
की क्षमता रखते
वही सफल हो पाते इस
भवसागर में
यदि प्रभू का वरद
हस्त होता सर पर
ले हाथ में हाथ भवसागर को पार कर तर जाते |
आशा
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (1-6-21) को "वृक्ष"' (चर्चा अंक 4083) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार कामिनी जी |
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका बहुत टिप्पणीव के लिए
हटाएंबहुत ही उम्दा भाव।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका बहुत टिप्पणीव के लिए
जवाब देंहटाएंत
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ह्रदयेश जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन से उपजी सुन्दर रचना ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |