अपने जीवन की एक शाम
मेरे नाम कर  दो
और कुछ दो या ना दो
एक  शाम उधार दे   दो
ऊँचे पत्थर पर बैठे-बैठे
अस्ताचल जाते सूरज का
उसकी लाल  रश्मियों का
लहरों के संग खेलना
होगा बहुत  मनोहर दृश्य
उसे देख जो अनुभव होगा
शायद ही भूल पाओगे
मुझे कई बार याद करोगे |
ढलती  शाम डूबता सूरज
पक्षियों का होता कलरव
घर जाने  की उत्सुकता उनकी
आकाश में जब देखोगे
अनेकों बार सराहोगे |
नीली  दिखती झील का
काँच सा स्वच्छ  नीर
क्रीड़ा रत  मछलियाँ वहाँ
डूबती उतरातीं
जल में डुबकी लगातीं
हिल मिल साथ रहना  उनका
जब देखोगे  खो से जाओगे |
मेरे साथ होगे
मुझे संबल मिलेगा
होगा बहुत मनोहारी दृश्य
तुम्हारे विचार और मेरी लेखनी
दोनों जब बहुत पास होंगे
तभी तो उन अनुभूतियों का
लेखन में समावेश होगा
जो भी नई कृति उपजेगी
मन को अभिभूत कर पायेगी  |
आशा
