अर्श से ज़मीन तक 
वजूद है तेरा 
होता सुखद अहसास 
सानिध्य पा तेरा 
आता निखार सृष्टि
में 
देख पावन रूप तेरा 
स्वच्छ सुन्दर छवि
तेरी 
दे जाती खुशी 
तुझ में आती विकृति 
कर जाती दुखी 
दिनों दिन तेरी बदहाली
बढ़ने लगी जब से 
कारण खोजा तब पाया 
मनुष्य के सिवाय 
कोइ और नहीं 
है वही सबसे बड़ा 
कारक कारण
और खलनायक
और खलनायक
तेरी बदहाली का 
स्वार्थ सिद्धि के
लिए 
गिरा इस हद तक
 आगा पीछा 
सोच न पाया
सोच न पाया
निजी स्वार्थ सबसे
ऊपर 
जल हो या थल 
या विष बुझा वायु
मंडल 
कारक सब का 
वही दीखता
वही दीखता
स्वार्थ से ऊपर उठ
कर 
जब वही जागृत होगा 
 संरक्षण तेरा कर
पाएगा 
मुक्ति प्रदूषण से
मिलेगी 
प्रसन्नता छलकने लगेगी
प्रसन्नता छलकने लगेगी
तुझ में नई चेतना पा
कर |
आशा 






