सभी कुछ नया 
कोई अपना नजर नहीं आता 
जो भी पहले देखा सीखा 
सब पीछे छूट गया 
हैं यादें ही साथ 
पर इसका मलाल नहीं 
रीति रिवाज सभी भिन्न 
नई सी हर बात 
अब तक रच बस नहीं पाई 
फिर भी अपनी सारी इच्छाएं 
दर किनारे कर आई 
जाने कब अहसास 
अपनेपन का होगा 
परिवर्तन जाने कब होगा 
अभी तो है सभी अनिश्चित 
इस डगर पर चलने के लिए 
कई परीक्षाएं देनीं हैं 
मन पर रखना है अंकुश 
तभी तो कोई कौना यहाँ का 
हो पाएगा सुरक्षित 
जब सब को अपना लेगी 
सफल तभी हो पाएगी  
है यह इतना सरल भी नहीं 
पर वह जान गयी है 
हार यदि मान  बैठी 
लंबी पारी जीवन की 
कैसे खेल पाएगी |
आशा 







