आस्था का संबल पा 
अवधान को जागृत किया 
मेकल सुता की धारा में 
कांछ कांछ मन निर्मल किया |
दीपक, बाती , स्नेह से 
मन मंदिर का दीप जला 
अभ्यर्थना के थाल को सज्जित  
पत्र ,पुष्प कुमकुम से किया |
पत्र ,पुष्प कुमकुम से किया |
जब पग बढाए राह पर 
झंझावात से नहीं डरे 
दीपक की लौ कपकपाई 
बाधित वह भी नहीं हुई |
अधिक उजास से भरी 
मार्गदर्शक बन उसने 
कर्तव्य पूर्ण अपना किया |
आत्म बल से परिपूर्ण 
उस पथ पर जाने वालों को 
बाँध कर ऐसा रखा 
तनिक भी भटकने न दिया |






