25 जुलाई, 2013
23 जुलाई, 2013
बागे वफ़ा
आज न जाने क्यूं ?
बागेवफ़ा वीरान नज़र आता
बेवफ़ा कई दीखते
पर बावफ़ा का पता न होता
चन्द लोग ही ऐसे हैं
जो दौनों में फर्क समझते
जज्बातों की कद्र करते
गलत सही पहचानते
आगे तभी  कदम बढ़ाते
हमराज  बन साथ होते
कुछ ही वादे करते
बड़ी शिद्दत से जिन्हें निभाते
जो बेवफ़ा होते
प्यार को बदनाम करते
झूटमूट के वादे करते
एक भी पूरा न करते
तभी तो विश्वास
प्यार से उठता जाता
हर कदम पर
धोखा ही नज़र आता |
आशा
20 जुलाई, 2013
आत्मबल
आस्था का संबल पा 
अवधान को जागृत किया 
मेकल सुता की धारा में 
कांछ कांछ मन निर्मल किया |
दीपक, बाती , स्नेह से 
मन मंदिर का दीप जला 
अभ्यर्थना के थाल को सज्जित  
पत्र ,पुष्प कुमकुम से किया |
पत्र ,पुष्प कुमकुम से किया |
जब पग बढाए राह पर 
झंझावात से नहीं डरे 
दीपक की लौ कपकपाई 
बाधित वह भी नहीं हुई |
अधिक उजास से भरी 
मार्गदर्शक बन उसने 
कर्तव्य पूर्ण अपना किया |
आत्म बल से परिपूर्ण 
उस पथ पर जाने वालों को 
बाँध कर ऐसा रखा 
तनिक भी भटकने न दिया |
18 जुलाई, 2013
भ्रम कुण्डली का
कुण्डली (१) 
क्या यही गलत नहीं ,सागर से की आस
प्यासा प्यासा ही रहा, बुझ ना पाई प्यास
बुझ ना पाई प्यास, सुनो हे बंधू मेरे
वह नमक कहाँ ले जाए ,कहाँ से लाए मिठास |
क्या यही गलत नहीं ,सागर से की आस
प्यासा प्यासा ही रहा, बुझ ना पाई प्यास
बुझ ना पाई प्यास, सुनो हे बंधू मेरे
वह नमक कहाँ ले जाए ,कहाँ से लाए मिठास |
कड़वा कड़वा थू करे ,मीठा सब जग खाय 
है जगत की रीत यही ,मीठा अधिक सुहाय  
मीठा अधिक सुहाय ,सुनो हे भ्राता मेरे 
अति इसकी जो भी करे ,बीमारी बढ़  जाय | 
प्यार बढाया आपने ,सौदा किया न कोय 
दिन दूना फूला फला ,रोक न पाया कोय 
रोक न पाया कोय सोचो  किसने की भूल 
विसराना ना उसे , ना देना बात को तूल |
आशा 
15 जुलाई, 2013
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