कविता में सब चलता है 
कोई सन्देश हो या न  हो 
हर रंग नया लगता है 
बस अर्थ निकलता हो 
जो मन को छूता हो |
वहाँ शब्द जूझता 
अपने वर्चस्व के लिए 
अपने अस्तित्व के लिए 
हो चाहे नया पुराना आधा अधूरा 
या किसी अंचल का |
जब भाव पूर्ण हो जाए 
वह रचना में रच बस जाए 
सभी को स्वीकार्य फटे फटाए
 नए
पुराने नोटों की तरह 
हो जाता अनिवार्य रचना के लिए |
कविता चाहे कालजयी हो 
या समय की मांग 
शब्द तो शब्द ही है 
अपना अस्तित्व नहीं खोता 
उसका अर्थ वही रहता |




