कुछ रहा ही क्या कहने को 
जब गम का साथ है |
जाने क्यूं रूठी बैठी है 
बिन बात उदास है |
तुझे समझना आसान नहीं 
पर कोशिश तो की थी |
निगाहों से उसे  गिरा दिया 
यह कैसी बात है |
एक मौक़ा तो दिया होता 
यदि अपना समझती |
तू मीत उसकी होती 
उसे अपना कह्ती |
अपनत्व तुझे हरपल मिलता 
यूं उदास न रहती |
प्यार की ऊष्मा पा
खुश सदा रहती |
प्यार की ऊष्मा पा
खुश सदा रहती |
आशा 


