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06 फ़रवरी, 2015
दुल्हन
संग पिया के
स्वप्न सजे आँखों में
सजनी चली !
नवजीवन
कदम बढ़ाए हैं
दुलहन ने !
अवगुंठित
लावण्यमयी वह
दुलहन है !
मन मुदित
चंचल चितवन
परणीता है |
आशा
30 जनवरी, 2015
जिन्दगी की जंग में
जिन्दगी की जंग से
जूझते जो नित
बिरले ही जीत पाते हैं
उसकी व्यथाओं से |
सेहरा जीत का
चाहते सभी
चन्द ही भाग्यशाली
जी पाते ये पल |
तिलतिल मरना
उन्हें रास नहीं आता
एकाएक जीने की आशा
बलबती मन में |
पाकर स्वप्न सुन्दरी
सजाते हैं एक आवरण
अपने इर्दगिर्द
अनुभव सजाना चाहते
आसपास सभी |
सफलता चूमती उनके कदम
घोडी चढ़
वह उच्च शिखर
छूना चाहते सभी
पर चन्द लोग ही
जी पाते है
ऐसे अदभुद क्षण
आशा
29 जनवरी, 2015
फागुन आने को है
उड़ने लगा गुलाल
फागुन आने को है
राधा ने किया सिंगार
वसंत जाने को है
गोपियाँ ताकती राह
बाँसुरी बजने को है
यमुना में आया उछाल
लहरें तट छू रहीं
कान्हां मयहोने को
बेकल होती जा रहीं
पूरे होने को हैं अरमान
फागुन आने को है |
आशा
28 जनवरी, 2015
संपदा
बंजर भूमि
वनस्पति के बिना
दुखी है प्रजा !
स्वप्न में आये
हरियाये पल्लव
मन हर्षाये !
वनसंपदा
मूल्यवान जब हो
देश सफल !
रंग बिरंगी
है फूलों की टोकरी
उपवन में !
जड़ें जमाये
वनस्पति देश की
पश्चिम में भी !
जलसंपदा
बहुत मूल्यवान
सबके लिए !
पहचान है
हरीतिमा हमारी
सबसे न्यारी !
पीत वासना
सुमुखी हरीतिमा
मन को छूती !
आशा
26 जनवरी, 2015
अस्थिर मन
खिला कमल भ्रमर हुए हैं मुग्ध
आकर्षित हैं
वाणी मधुर है स्मित मुस्कान
दिल जीतती
कोयल काली आम की डाली पर
सुर मधुर
मन चंचल उड़ता पक्षियों सा
आकाश छूता
होती हताशा जब कुछ न पाता
बेचैन होता
वीणा के सुर हो गए बेसुर
कहाँ अटके
चांदनी रात महकी रातरानी
नहीं हैरानी
आधा है चाँद रात भी है हसीन
जब तुम हो
दौनों ने मिल तिनके चुनचुन
नीड़ बनाया
खाली धरोंदा उड़ गईं चिड़ियाँ
वीरान हुआ |
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