शिक्षा बेटी की  :-
नन्हीं कली नाजों में पली 
दिन रात विहसती रहती थी 
चिंता चिता समान जान 
उससे दूरी रखती थी |
पहले दिन शाला गई 
कक्षा में प्रवेश किया 
बोझ  बस्ते का था भारी 
थकित चकित वह बैठ गई |
पाठ बड़ा ही कठिन लगा 
अवधान केन्द्रित ना हो पाया 
जाने कब होगी छुट्टी 
उसने सोचा कहाँ आ गई |
समस्त  आजादी गई 
उबाऊ पठन  पाठन से  
भागने का मन होता 
शाला जाने का मन न होता |
एक दिन अचानक 
जाने कहाँ  से पत्र आया 
जब पढ़ न पाई 
अपनी गलती पर पछताई |
यदि कहना मानती 
आज यह गति ना होती 
ध्यान से पढ़ने लगी 
ऎसी उसे लगन लगी |
छिपी प्रतिभा समक्ष आई
मिला सहयोग भी यथोचित
एक दिन वही बेटी
उच्च पदासीन हुई
माँ पिता की शान हुई |
उसने अपनी क्षमता को पहचाना
छिपी प्रतिभा समक्ष आई
मिला सहयोग भी यथोचित
एक दिन वही बेटी
उच्च पदासीन हुई
माँ पिता की शान हुई |
उसने अपनी क्षमता को पहचाना
थी सब के मुंह पर एक ही बात 
बेटी हो तो ऎसी हो 
शिक्षा का महत्व जानती हो 
आशा 


