
07 दिसंबर, 2015
05 दिसंबर, 2015
बचपन कान्हां का
बाल सुलभ चापल्य तेरा 
ऐसा मन में समाता 
बालक के निश्छल मन का 
हर पल अहसास दिलाता 
कान्हां तू कितना चंचल 
एक जगह रुक न पाता 
सारे धर में धूम मचाता
मन चाहा करवाता
मन चाहा करवाता
तू मां की   आँख का तारा 
 हो गया सभी  का दुलारा 
मां की ममता का तू संबल 
तन मन तुझ पर सबने वारा
किया पूतना वध  
 कष्टों से गोकुल को  उबारा 
जमुना तीरे कदम तले
जमुना तीरे कदम तले
धेनु चराई रास रचाया 
केशर संग होली खेली
की गोपियों से ठिठोली
गलियों में धूम मचाई
राधा भी बच न पाई
पानी सर से ऊपर हुआ
शिकायतों का अम्बार लगा
की गोपियों से ठिठोली
गलियों में धूम मचाई
राधा भी बच न पाई
पानी सर से ऊपर हुआ
शिकायतों का अम्बार लगा
गुजरियों की शिकायत पर
मां को बातों में बहकाया 
यशोदा मां बलाएं लेती 
कान्हां को कुछ न कहतीं 
यही सभी से कहती 
कान्हां मेरा भोलाभाला 
उसने कुछ न किया
उसने कुछ न किया
कैसे हो गुणगान तेरा 
शब्द नहीं मिलते 
मन में भाव घुमड़ते रहते 
तुझ में खोए रहते |
शब्द 
03 दिसंबर, 2015
छलना
दृष्टि जहां तक जाती है 
तू ही  नज़र आती है 
पलकें बंद करते ही 
तू मन में उतर जाती है 
छवि है या कोई परी 
जो आँख मिचौनी खेल रही 
 दृष्टि से ओझल होते ही  
मन  अस्थिर कर रही 
है ऐसा क्या तुझ में विशेष 
जग सूना सूना लगता है 
जब तू नहीं होती 
जीना दूभर होता है 
अब तो सुनिश्चित करना होगा
तू सच में है
या कोई छलना
या भ्रम मेरे मन का
या कोई छलना
या भ्रम मेरे मन का
बहुत हुई  लुका छिपी 
मेरे पास अब समय नहीं 
तुझे खोज कर लाने का 
मनुहार में समय गवाने का 
मैं यदि तुझसे रूठा 
फिर लौट कर न आऊंगा
भ्रम मेरा टूट गया है 
है धरा मेरे नीचे
है धरा मेरे नीचे
अब तुझे सोचना है 
क्या करना है कैसे करना है 
या अभी भी मुझे छलना है |
आशा 
30 नवंबर, 2015
यादें सज ही जातीं हैं
मेरी डायरी के कागज़
  लिखे गए  या रहे अघूरे  
कुछ कोरे रहे  भी तो क्या 
यादों की बयार  साथ लाये 
र्रूपहली यादों की महक
सुनहरी धूप की गमक
मन को बहकाए
वह अनियंत्रित हुआ जाए
रची बसी खुशबू गुलाब की
र्रूपहली यादों की महक
सुनहरी धूप की गमक
मन को बहकाए
वह अनियंत्रित हुआ जाए
रची बसी खुशबू गुलाब की
यादों को दोहराने लगी 
किसी की याद सताने लगी 
बीता कल अब समक्ष था
बीता कल अब समक्ष था
दिया गुलाब का फूल था 
मनोभाव जताने को 
बड़े प्यार से जिसे सहेजा 
अपनी डायरी के बीच में 
व्यस्तता इतनी रही
 वह  याद न आई 
यादें विस्मृत होने लगी 
वर्तमान में खोने लगीं
वर्तमान में खोने लगीं
आज अचानक हाथ आई  
वही पुरानी डायरी 
गुलाब का फूल तो सूख गया  
पर महक अभी तक बाक़ी है 
पन्नों में रच बस गई है 
यादों में धुलमिल गई  है 
मंथर गति से मुझ तक आकर  
यादें सज ही जाती हैं
दिल में जगह बनाती हैं |
दिल में जगह बनाती हैं |
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आशा 
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