01 जून, 2016

ऐतवार उठ गया है



BHARAM MERAA के लिए चित्र परिणाम
मैंने सत्य के अलावा
कुछ न कहा
तूने ही मुझे झुटलाया
मैं जान नहीं पाया
क्या था तेरा इरादा
यदि थोड़ी  भनक होती
कुछ तो लिहाज करती
मुंह से नहीं कहती
इशारे से ही सही
मन की चाह बताती
मुझे भरम न होता
इतना प्रपंच न होता
मैं मौन धारण कर लेता
एक शब्द भी न कहता
पर तूने सब के समक्ष 
झूटा मुझे बनाया
मन को ठेस लगी
दिल पर गहरा घाव हुआ
जाने कब तक भर पाएगा
कहीं नासूर तो न हो जाएगा
पर तुझे इससे क्या
खैर जो हुआ सो हुआ
तेरी बेवफाई की
यादें न भूल पाऊंगा
ऐतवार उठ गया है
कैसे पुनः   पाऊंगा |
आशा







30 मई, 2016

कलम नहीं चला पाई



सैलाब भावनाओं का ऐसा
वह सोचती ही रह गई
कापी कलम ली हाथ में
पर मति कुंद हो गई 
   कैसे लिखे कितना लिखे
विचारों में उलझती गई
किस विषय का चयन करे
वह सोच नहीं पाई |
शब्दों का भण्डार अपार
उनमें ही डुबकी लगाई
लिखने की रही क्षमता
पर कलम नहीं चला पाई |
क्या यह थी कुंठा मन की
या प्रहार की चिंता थी
चेक था हाथों में
पर उसे भी न भुना पाई |
आशा




28 मई, 2016

झूला बाहों का

दाल पर झूलता बच्चा के लिए चित्र परिणाम
आई छुट्टी गर्मीं की
कोई काम न धाम
सड़क नाप बाग़ में पहुंचे
थी झूले की तलाश
एक डाल मजबूत दिखी
पर रस्सी तब भी न मिली
थी हाथों में शक्ति
डाली पर लगाई छलांग 
 अब प्रयत्न सफल हुआ
वही डाल झूला बनी
आनंद से उत्फुल्ल हुए
मित्रों को करतब दिखा
फूले नहीं समाए 
नए करतब की तलाश में
 दिमागी  घोड़े दौड़ाए |
आशा

27 मई, 2016

छितराए बादल


मैंने तुझे बंधक बनाया 
अच्छा किया
नहीं तो तू भाग जाता
बूँद बूँद के लिए तरसाता
बदरा है तू कितना निष्ठुर
आता है चला जाता है
ज़रा भी तरस नहीं खाता
जल बिन जीवन कैसा होगा
कभी सोचना नहीं चाहता
यूं तो जल की कमीं नहीं
दो तिहाई समुन्दर है
पर है उसमें खारा जल
उस जल का क्या करें
प्यास बुझ नहीं सकती
आए दिन उसकी लहरें
सीमा छोड़ कर अपनी
जब उत्पात मचाने लगती 
जन जीवन होता प्रभावित
उत्पात मचाती तरंगों से
तेरा भागना इस तरह
मुझे अच्छा नहीं लगता
मान मेरी बात
गति अपनी नियंत्रित कर
यदि तू समय का ध्यान रखेगा
सभी तुझे सराहेंगे
तेरी अवमानना न होगी
तुझे भी प्रसन्नता होगी |
आशा

25 मई, 2016

तूफान क्या डराएगा

तन्हाई के लिए चित्र परिणाम
कहीं मन में दुविधा न थी
उत्साह था जूनून था
पार उतर ही जाएंगे
दृढ़ता लिए विचार था
 यही सोच पर्याप्त रहा |
डाली  कश्ती तभी  अपनी  
इतने बड़े भव सागर में 
हमें तूफान क्या डराएगा 
हस्ती हमारी देख कर
 खुद ही शांत हो जाएगा |
 हमने कण कण देखा 
हर संकट से दो चार हुए   
  मझधार में फंसे तो क्या
पार उतर  ही जाएंगे
जब जीवन से नहीं हारे
हमें तूफान क्या डराएगा |

आशा

21 मई, 2016

अलंकार


अलंकार और उसके भेद के लिए चित्र परिणाम
बिना अलंकार श्रंगार अधूरा
बिना उसके साहित्य भी सूना
निखार रूप  में
तभी आता जब रूपसी
 सजी हो  अलंकारों से
भाषा तभी वजन रखती
जब अलंकारों से भरी होती
भाव भी अधूरे लगते
उनके अभाव में
साहित्य का लालित्य झलकता
अलंकृत भाषा विन्यास में
हैं ये शब्दों का गहना
भाषा न निखरती इनके बिना |
आशा

18 मई, 2016

सिंहस्थ में

इस सिंहस्थ में
महाकाल की
पावन नगरी में
उमढ़ा जन सैलाव
आस्था के कुम्भ में
खोजने को आत्म ज्ञान
किया स्नान ध्यान
मोक्ष दायानी क्षिप्रा में
डुबकियां लगाईं
पावन जल में
तन मन को भी
किया स्वच्छ निर्मल
है भव्य आयोजन
सनातन धर्मावलम्बियों का
महात्माओं ने मार्ग दिखाया
आत्मा की शुद्धि का
उसके परिमार्जन का
समभाव का मन बना
धार्मिक अनुष्ठानों से
आत्मा गदगद हो गई
धर्म यात्रा सफल हो गई |
आशा