पलक पसारे बैठी है
 वह तेरे इन्तजार में
हर आहट पर उसे लगता है 
कोई और नहीं है  तेरे सिवाय  
हलकी सी दस्तक भी 
दिल के  दरवाजे पर जब होती  
 वह बड़ी
आशा से देखती है 
 तू ही
आया है 
मन में विश्वास जगा है 
चुना एक फूल गुलाब का 
 प्रेम के इजहार
के लिए 
      काँटों से भय नहीं होता 
स्वप्न में  गुलाब देख 
 अजब सा सुरूर आया है  
वादे  वफा
का नशा
 इस हद तक
चढ़ा है कि 
उसे पाने कि कोशिश  तमाम हुई है 
चर्चे गली गली में सरेआम हो गए 
पर उसे इससे कोई आपत्ती नहीं 
मन को दिलासा देती है 
तेरी महक से पहचान लेती है |
आशा 

