होना न मगरूर 
जब भी कोई बड़ी 
 उपलब्धि पाओ 
हो एक आम आदमी
 जमीन
से जुड़े हुए 
यह न जाना भूल 
यदि पंख फैलाए
 उड़ने
के लिए 
गिर जाओगे जमीन पर 
चाटते रह जाओगे धूल
अपना अस्तित्व खो बैठोगे 
दिल में चुभेंगे शूल
जो देंगे पीड़ा असीम 
सह्न न कर  पाओगे उसे 
रोम रोम होगा दुखी 
उस दर्द 
को  न सह पाओगे 
एक गलत कदम
 होता
कितना कष्टकर 
 न
जाना उधर भूल 
अस्तित्व से सुलह  न की यदि  
टूट जाओगे बिखर कर 
गरूर चूर चूर होगा 
यदि सोच कर भ्रमित हुए 
                                       और हुए मगरूर |




