दिल और दिमाग
 हैं तो सहोदर 
एक साथ रहते है पर 
 संग्राम छिड़ा है  दौनों में |
आए दिन की बहस
 नियमों का उल्लंधन 
एक ने चाहा दूसरे ने नकार दिया 
हो गई है आम बात  |
कभी दिल की जीत  भारी 
 कभी मस्तिष्क की जीत हारी 
हार जीत के खेल में 
  तालमेल नहीं है  दौनों में |
 नजदीकियां बढ़ते  ही
 नया  विवाद जन्म ले लेता है
फिर से वही बहस
 आए दिन की तकरार 
उसमें  उलझे  रहते है दौनों |
  संग्राम थमने का 
नाम ही नहीं लेता 
  दौनो धरती के हुए  दो ध्रुब
या धरा और  आकाश |
|प्रेम प्यार से  एक साथ 
 मिलजुल कर रह नहीं पाते 
मिलते ही विरोध दर्शाते  
अपनी दुनिया में जीना चाहते |
 बहुत दुखी हूँ
 किस तरह उनमें तालमेल बनाऊ
 कैसे मध्यस्तता करूं  
 इस  संग्राम का अंत करूं |
 भूले सामंजस्य बना कर
 रहने का मूल मन्त्र 
खुद भी रहते परेशान 
और दूसरे की भी चिंता नहीं |
 हुए  ऐसे  आत्म केन्द्रित 
दो चक्की के पाटों के बीच फंसी हूँ 
मेरा क्या होगा कब थमें संग्राग 
अब तो यह तक नहीं सोच पाती |
आशा