बीतना चाहा इस  वसंत ने 
 फागुनी हवा ने अपना हक़ माँगा  
वह देने को तैयार ही
बैठा था  
लौटने का मन
बनाया |
उसे इस बात का एहसास
पहले भी हुआ था पर
उसे 
अपने  मन का भ्रम जान 
नजर अंदाज किया था |
पर्यावरण के परीवर्तन ने
 दी गवाही फागुन आने की
 वृक्षों के  पत्ते झरने लगे 
 कुछ वृक्ष  ऐसे भी थे जिनमें
कलियाँ प्रस्फुटित
होने लगी |
जैसे नव कलियों में से 
झाँकते  पलाश के पुष्प
दुनिया देखने को थे
बेकरार 
खिले  पुष्प हुआ
सुर्ख वृक्ष पूरा 
अद्भुद सिंगार हुआ  धरती का |  
खेतों में नवल धान्य
 तैयार
कर रहा प्रतीक्षा
होली की 
चंग पर थाप दे करते नृत्य
 फागुनी  गाने
तैयार कर 
रसिया नए सुनने
सुनाने को |
घर घर जाकर  गीत  गाना  
 फगुआ मांगना हुआ प्रारम्भ 
सराबोर हुआ सारा
समाज 
फागुन के रंग में भीगा
समाज 
महिलाएं व्यस्त पकवान बनाना में |
मौसम का बदलता स्वभाव   
स्पष्ट नजर आता 
गर्मीं की आहट भी कभी
 मन को मुदित करती |
आशा 






