बड़े इन्तजार के बाद 
चिलमन से झांकते छिपते छिपाते
कोरोना के उपद्रव से
भयभीत रहा पहले  |
कहीं यह त्यौहार भी ना फीका हो जाए
फिर से हुआ यदि  लौक डाउन
कहीं सान्ता क्लाज न
फँस जाए 
आज के झमेलों में |
हमने बहुत सी तैयारियां
की है
उसके स्वागत के लिए
 हैं बड़े उत्साहित कब वह आए 
हमें मन चाहे
पुरुस्कार दे पाए |
जो खुशी उससे हमें मिलती
बयान करने को शब्द नहीं मिलते
उनकी गरिमा कुछ और
ही होती 
तभी होती इतनी बेकरारी
इस के आने की राह देखने की |
आशा