ना कहने को कुछ रहा ,
ना सुनने को बाक़ी
जो देखा है काफ़ी वही ,
उसका सिला देने को |
गुड़ खाया बोला गुड़ सा ,आई नहीं मिठास |
कडुवाहट मन से न गयी व्यर्थ रहे प्रयास ||
वाणी मधुरस से पगी ,अंतस तक छा जाय |
कटु भाषण यदि किया ,धाव गहन हो जाय ||
फूलों की वादियों में एक ठूंठ नजर आया
ना ही कभी फूल खिले ,नाही कभी हरियाया ||
प्यार कभी जाना नहीं ,ना ही कभी मुस्कान
चहरे से यूं ही लगता , कटु भाषण की खान ||
आशा
ना सुनने को बाक़ी
जो देखा है काफ़ी वही ,
उसका सिला देने को |
गुड़ खाया बोला गुड़ सा ,आई नहीं मिठास |
कडुवाहट मन से न गयी व्यर्थ रहे प्रयास ||
वाणी मधुरस से पगी ,अंतस तक छा जाय |
कटु भाषण यदि किया ,धाव गहन हो जाय ||
फूलों की वादियों में एक ठूंठ नजर आया
ना ही कभी फूल खिले ,नाही कभी हरियाया ||
प्यार कभी जाना नहीं ,ना ही कभी मुस्कान
चहरे से यूं ही लगता , कटु भाषण की खान ||
आशा