20 फ़रवरी, 2024

चन्द्रयांन मिशन

 इन सारी हरकतों का ,

बेमतलब की तांका झाकी  

सब को रास न  आती 

मन को जब रास न आए 

जिन्दगी ही रूठ जाए |

सही राह मिलते ही 

जीवन सही पटरी पर

नहीं चलता   

जाने के लिए अपना मन बनाए 

इघर उधर झांकते 

सारा जीवन बीत गया है

यूँही इधर उधर झांकते 

कोई हल नहीं निकला 

सितारा देखा जब भी

तुम से किसी की तुलना नहीं हो पाई |

तुम चाँद और तारे आसपास तुम्हारे 

तुम सा कोई नहीं आकाश गंगा में 

जैसे भी हो सब सेअलग हो  

 हो सारे आसमान में 

बड़ी सफलता पाई इसरो  ने स्पेस में 

तुम पर भारत का तिरंगा झंडा फैला कर 

प्रधान मंत्री ने  की प्रशंसाभूरीभुरी वैज्ञानिकों की 

यहाँ की  प्रगति देख 

सारा  देश हुआ गौरान्वित |

आशा सक्सेना 

इस हरी भरी बगिया में


इस हरी भरी बगिया में

कितनी मदमस्त बयार है

माली अपनी मेंहनत पर

 झूम झूम जाता है |

कितनी मेहनत कर रहे हो

मन उत्फुल्ल  हो जाता है

बहुत मेंहनत लगती है

 जरा ज़रा से कार्य में |

 जब कोई तारीफ करता हैं

मन बाग़ बाग़ होता है

माली  फूला नहीं समाता

 अधिक उत्साह से जी जान से जुट जाता है |

आशा सक्सेना 

07 फ़रवरी, 2024

जब ध्यान ना रखा

 

है एक दिन की बात है  

मैदान पर खेलने गए थे

समय का ध्यान ही नहीं रहा

शाम गहराई ,होने लगी रात |

हम छोटे थे रुआसे हुए

अब घर कैसे जाएंगे  

एक राहगीर उधर से जा रहा

रोने का करण जान कर

हाथ थामें उसने छोड़ा घर पर

अब समय का ध्यान रखने

 की कसम खाई

अपने को बहुत समझदार समझा

एक शिक्षा ली

 समय का ध्यान रखने की

आशा सक्सेना  

हाइकु


                                                                    १- किसी ने कहा

 तुम नहीं आओगे 

तरसाओगे 

२-उसने पीया

 रसरंग प्रेम का 

मुझे पिलाया 

३- मीठा है  रस

 बड़ा ही मशहूर 

तुम ही पियो 

४-याद नहीं है 

मैंने कभी पीया है 

आम का रस 

५-तुमने बोले 

दो शव्द प्रेम के

मन पसीजा 

आशा सक्सेना 

ऐसे कार्य करें कि सब याद करें

 

हम चले जाएंगे

लौट कर न आएगे

यादें शेष  रह जाएंगी

किसी के पास |

इधर उधर से

आते जाते सभी

याद करेंगे

उन बातों को |

तभी बड़ों का कहना है

कोई ऐसा काम न करो

किसी के मन को

ठेस पहुंचे |

यह मैंने अनुभव किया है

मेरे जाते ही

बहुत बाते बनती हैं

बेरे बारे में |

 तभी सोचती हूँ

ऐसे कार्य करूं कि

मुझे भी  याद किया जाए

जब मैं इस दुनिया से  जाऊं |

आशा सक्सेना 

06 फ़रवरी, 2024

हाइकु (कहना नहीं)

 

१-कहना नहीं 

कैसे ना  बहकाये

डर नहीं है

२-मीठी धुन में 

गीत बना उसका

कविता पढ़े 

३- उसे  चाहिए

मेरे  प्रेम की चाह

किसी के लिए

४-कोई ना जाने

मेरे मन की बात

यही है ख़ास

५-तेरी  मुझसे  

बात छुपी नहीं है

यही  विशेष 

                

    आशा सक्सेना

29 जनवरी, 2024

खुद को बदल ना पाई


 

जब याद आई तुम्हारी

जी भर कर रोई

तब भी मन न भरा

फिर क्या करती |

कोई नहीं था

दो बोल मीठे बोलने को

थी  असहाय अकेली

खोजती राह भी कैसे |

सोचा जब अकेले ही जाना है

फिर आशा किसी से क्यों ?

अपने को बदल न पाई 

आज तक फिर खुद में

 परिवर्तन की आशा क्यों ?

यही हाल रहा यदि

कुछ न कर पाऊँगी

सफलता की देहरी

तक न छू पाऊंगी |

हूँ अकेली उदास

किसी का साथ नहीं है

कोई हमसफर नहीं है

जिसका हाथ हो सर पर |

आशा सक्सेना