मैं गुनगुनाता हूं ,
गीत गाता हूं ,
कभी अपनों के लिए ,
कभी गैरों के लिए ,
जब किसी दिल को छू जाता है ,
एक आह निकलती है ,
सर्द सर्द होंठों से ,
यूँ सुनाई नहीं देती ,
पर खो जाती है नीलाम्बर में ,
घुल मिल जाती है उस में ,
लेखन और गायन मेरी आदत नहीं है ,
है एक गुबार मेरे दिल का ,
ह्रदय के किसी कौने से निकली आवाज ,
कई बार मुझे बहकाती है ,
शब्द खुद ही प्रस्फुटित होते हैं ,
गीतों की माला बनती जाती है ,
आवाज का सानिद्ध्य पा ,
गीत जीवंत हो जाते हैं ,
जाने कितनों के मन छू जाते हैं ,
ना सुर ना ताल ,
फिर भी वह दर्द जो छुपा था ,
बरसों से दिल में ,
कई बार उभर कर आता है ,
ले शब्दों का रूप मुझे छलता है ,
मैं नहीं जानता,
है यह सब क्या ,
ना ही गीतकार बनने की ,
तमन्ना रखता हूं ,
पर मेरे अपने ,
संग्रहित उन्हें कर लेते हैं ,
कई बार पिछले गीतों की ,
याद दिलाते हैं ,
उन्हें सुनना चाहते हैं ,
दर्द ह्रदय का,
और उभर कर आता है ,
कई रचनाओं का,
कलेवर बन जाता है ,
मैं कोई धरोहर गीतों की ,
छोड़ना नहीं चाहता ,
पर आवाज कहीं,
दिल के भीतर से आती है ,
उसे ही शब्दों में पिरोता हूं ,
वही मेरा गीत है ,
वही मेरी प्रेरणा है |
आशा
pyari rachna.............aur shnadaar bhi..:)
जवाब देंहटाएंमैं कोई धरोहर गीतों की ,
जवाब देंहटाएंछोड़ना नहीं चाहता ,
पर आवाज कहीं,
दिल के भीतर से आती है ,
उसे ही शब्दों में पिरोता हूं ,
वही मेरा गीत है ,
वही मेरी प्रेरणा है
सच में यही दिल की आवाज तो एक आकार लेकर कृति का रूप धारण कर लेती है..
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना है.
जवाब देंहटाएंदर्द ह्रदय का,
जवाब देंहटाएंऔर उभर कर आता है ,
कई रचनाओं का,
कलेवर बन जाता है ,
Dard se bhari sundr rachna.
बहुत बढ़िया रचना ! गीत ऐसे ही अनायास जन्म लेते हैं जो सायास लिखे जाएँ वे गीत निष्प्राण होते हैं ! अति उत्तम !
जवाब देंहटाएंआशा दीदी प्रणाम, बहुत ही प्यारी रचना का सृजन किया है आपने....
जवाब देंहटाएंआभार.
DIL KHUSH HO GYA AASHA MAA
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