है  कैसा व्यवसाय 
जो फल फूल रहा 
कुकर मुत्ते सा  
चाहे जहां दिख जाता  
रहते  लिप्त सभी जिसमें
ऊपर से नीचे तक |
बिना बजन के 
कोई फाइल नहीं हिलती 
कितनी भी आवश्यकता हो 
अनुमति नहीं मिलती 
हें सजी कई दुकानें 
यह व्यवसाय  जहां होता |
देने वाला भी प्रसन्न 
लेने वाला अति प्रसन्न 
पहला सोचता है 
कोई व्यवधान ना आए 
दूसरा इसलिए कि 
नव धनाड्य हो जाए  |
हें जितने लोग लिप्त इसमें 
ढोल में पोल की 
कड़ी बने हें 
धन अधिक पा जाने पर
हर संभव पूर्ती करते हें 
दबी हुई आकांक्षा की
जब भय होता 
पकडे जाने का 
मुंह छिपाए फिरते हें 
ले  कर सहारा इसका ही 
बेदाग़ छूट भी जाते हें 
है यह विज्ञान  या कला 
विश्लेषण करना  है  कठिन 
विज्ञान में शोध होते हें 
नियम  सत्यापित भी होते हें 
कला  होती संगम भावनाओं का 
मिलता नया रूप जिसे 
भावनाओं से दूर बहुत 
ना ही कोई नियम धरम 
यह दौनों से मेल नहीं खाता 
लगता सबसे अलग 
इसे क्या कहें 
घूसखोरी ,तोहफा या रिश्वत |
आशा
समसामयिक रचना .. सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावनाओं से दूर बहुत ,
जवाब देंहटाएंना ही कोई नियम धरम ,
यह दौनों से मेल नहीं खाता ,
लगता सबसे अलग ,
इसे क्या कहें ,
घूसखोरी ,तोहफा या रिश्वत |
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यह अब जीवन के अंग बन गये हैं!
अनोखी बात
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सही सटीक भी
एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
अपना-ईमान बेचा
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कुछ और समय के बाद यह रिश्वतखोरी उपहार, तोहफा या सुविधा शुल्क जैसे परिमार्जित नामों से और कई पायदान चढ कर 'धर्म' के सिहांसन पर विराजमान हो जायेगी और सारे रिश्वतखोर अधिकारी घोषित और मान्यताप्राप्त प्रवचनकर्ता ! इसका पालन किये बिना काम होना असंभव तो आज के युग में भी है तब इस 'धर्म' का पालन करना कानूनन अनिवार्य हो जाएगा ! बस देखती जाइए ~ बढ़िया पोस्ट बधाई एवं आभार !
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