होती है प्रीत वह भावना
जो कभी समाप्त नहीं होती
कोमल भावनाओं का संचार
होता जाता अंतर मन में |
दिन दिन नहीं रहता
रात रात नहीं लगती
मन करता रमण उसी में |
प्यार है ऐसा जज्बा
जिसे भुलाया नहीं जाता
आकर्षण और समर्पण
होते निहित इस में |
भूल नहीं पाता कोई इसे
रहता अहसास इसका
जिंदगी के
आख़िरी क्षण तक |
आवश्यक नहीं वह मिल पाये
जब अन्य किसी से नाता जुड़ जाये
उसकी निकटता पा कुछ तो मन बदलता है
पर यह प्यार नहीं समझौता है |
जो मिला नहीं उसकी यादें
धुँधली सी होने लगती हैं
पर उन यादों की ऊष्मा
एकांत क्षणों में, स्वप्नों में
बारम्बार सताती है
मन में दबी चिंगारी
ज्वाला बन जाती है |
प्यार पहला ही होता सच्चा
दूसरा मात्र समझौता है|
वह प्यार क्या
जिसकी याद नहीं आये
होता बहुत भाग्य शाली
जो उस तक पहुँच पाये |
आशा
जो कभी समाप्त नहीं होती
कोमल भावनाओं का संचार
होता जाता अंतर मन में |
दिन दिन नहीं रहता
रात रात नहीं लगती
मन करता रमण उसी में |
प्यार है ऐसा जज्बा
जिसे भुलाया नहीं जाता
आकर्षण और समर्पण
होते निहित इस में |
भूल नहीं पाता कोई इसे
रहता अहसास इसका
जिंदगी के
आख़िरी क्षण तक |
आवश्यक नहीं वह मिल पाये
जब अन्य किसी से नाता जुड़ जाये
उसकी निकटता पा कुछ तो मन बदलता है
पर यह प्यार नहीं समझौता है |
जो मिला नहीं उसकी यादें
धुँधली सी होने लगती हैं
पर उन यादों की ऊष्मा
एकांत क्षणों में, स्वप्नों में
बारम्बार सताती है
मन में दबी चिंगारी
ज्वाला बन जाती है |
प्यार पहला ही होता सच्चा
दूसरा मात्र समझौता है|
वह प्यार क्या
जिसकी याद नहीं आये
होता बहुत भाग्य शाली
जो उस तक पहुँच पाये |
आशा
बिलकुल सच्ची और सही बात ! सोलह आने सही ! सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंपंक्तियाँ अंतर्मन को छूती हैं। एक अनकही सच्चाई झलकती है। विज्ञान की पृष्ठभूमि से होते हुए भी हिंदी साहित्य के प्रति आपका अगाध प्रेम वन्दनीय एवं सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंप्यार पहला ही होता सच्चा
जवाब देंहटाएंदूसरा मात्र समझौता है|
बहुत खूब!
बिल्कुल सच है। मन के भावों की उत्तम अभिव्यक्ति।
धन्यवाद टिप्पणी के लिए
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
\
\
आकर्षण और समर्पण
जवाब देंहटाएंहोते निहित इस में |
भूल नहीं पाता कोई इसे
रहता अहसास इसका
जिंदगी के
आख़िरी क्षण तक |
आवश्यक नहीं वह मिल पाये
जब अन्य किसी से नाता जुड़ जाये
उसकी निकटता पा कुछ तो मन बदलता है
पर यह प्यार नहीं समझौता है |
जो मिला नहीं उसकी यादें
धुँधली सी होने लगती हैं
पर उन यादों की ऊष्मा
एकांत क्षणों में, स्वप्नों में
बारम्बार सताती है
मन में दबी चिंगारी
ज्वाला बन जाती है
bahut acchi bat kahi Aasha ji aapne...par mera yah man na hai ki pyar to ehsas hai...pahla aur dusra aur teesra kuchh bhi nahi hota...sabse uttam pyaar hota hai jab aap khud se pyar karte hain...khud ko sanwarne ki koshish mein ham aone liye aaina dhoondhte hain aur uss aaine ko hi pyar ka naam dete hain...ab ye to pata nahin ki pahla aaina sahi hoga ya dusra ya teesra ....yah to khud ko sawarne ki prakriya me ya khud hi khud ko talashne ki prakriya ka nateeza hota hai.
प्यार पहला ही होता सच्चा
जवाब देंहटाएंदूसरा मात्र समझौता है|
वह प्यार क्या
जिसकी याद नहीं आये
होता बहुत भाग्य शाली
जो उस तक पहुँच पाये |
बिल्कुल सच है। मन के भावों की उत्तम अभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...वैसे ज़िंदगी समझौतों पर ही टिकी होती है ...प्यार के बाद भी समझौते तो होते ही हैं .
जवाब देंहटाएंप्यार के बिना जीवन सूना है ,
जवाब देंहटाएंपर समाज समझोता करना ही सिखाता है |
यही यथार्थ है |
बहुत अच्छी रचना....
जवाब देंहटाएंप्यार पहला ही होता सच्चा
जवाब देंहटाएंदूसरा मात्र समझौता है....
bahot achche.
बिल्कुल सच है। मन के भावों की उत्तम अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा दी ,
जवाब देंहटाएंशब्दश:सच है !
पूर्णत: सहमत !
सादर ....
kavita achhi
जवाब देंहटाएंpar yadi yah sach hai ki pahala pyar hi sach hota hai to samjhauta karne wale use pyar kahkarto dhokha karte hain n
JAI SHANKAR PRASAD
सुन्दर अति सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।, एक राय मेरी रचना पर भी
जवाब देंहटाएं