मंदिर गए मस्जित गए
और गिरजाघर गए
गुरुद्वारे में मत्था टेका
चादर चढाई मजार पर |
कई मन्नतें मानीं
कुछ इच्छाएं पूरी हुईं
कई अधूरी रह गईं
तब अंतर मन ने कहा
है यह विश्वास मन का
ना कि अंध विश्वास किसी धर्म का
होता वही है
जो है विधान विधि का |
क्या अच्छा और क्या बुरा
,हर व्यक्ति जानता है
फिर भी भटकाव रहता है
सब के मन में |
जान कर भी जानना नहीं चाहता
अनजान बना रहता है
,मन की शान्ति खोजता है
जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल
वह उसके बहुत करीब होता है |
जब आख़िरी दिन होगा
हर बात का हिसाब होगा
सब कर्मों का लेखा जोखा
यहीं दिखाई दे जाएगा |
आशा
बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना!
जवाब देंहटाएंयह तो सच है !
जवाब देंहटाएंजब आख़िरी दिन होगा
हर बात का हिसाब होगा
सब कर्मों का लेखा जोखा
यहीं दिखाई दे जाएगा |
दार्शनिकता से भरपूर सुन्दर रचना ! बधाई !
जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल , वह उसके बहुत करीब होता है |
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने
सही कहा आपने - जैसी करनी वैसी भरनी
जवाब देंहटाएंहोता वही है
जवाब देंहटाएंजो है विधान विधि का |
क्या अच्छा और क्या बुरा
,हर व्यक्ति जानता है
फिर भी भटकाव रहता है
सब के मन में |
sach kaha
bharpoor sachchee baat,man ki baat
जवाब देंहटाएं'जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल
जवाब देंहटाएंवह उसके बहुत करीब होता है '
...............सत्य वचन
..................आस्था का सत्य निरुपित करती सुन्दर रचना
यही सच्चाई है बहुत अच्छी रचना ,बधाई .....
जवाब देंहटाएंBhatkaav ko ek disha deti rachana,ati sundar
जवाब देंहटाएंसच कहा है ... अच्छा बुरा ... स्वर्ग नरक सब यही है ... और सब जानते भी हैं ... अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंसच को कहती अच्छी रचना ...
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