तेरा प्यार दुलार
भूल नहीं पाती
जब पाती नहीं आती
मुझे बेचैन कर जाती |
तेरे प्यार का
कोइ मोल नहीं
तू मेरी माँ है
कोई ओर नहीं |
आज भी
रात के अँधेरे में
जब मुझे डर लगता है
तेरी बाहें याद आती हैं |
कहीं दूर स्वप्न में
ले जाती हैं |
फिर सुनाई देती है
तेरी गाई लोरियाँ
‘आँखें बंद करो ‘कहना
मेरा झूठमूठ उन्हें बंद करना |
सारा डर
भाग जाता है
जाने कब सो जाती हूँ
पता ही नहीं चलता |
आशा
माँ के प्रति सुन्दर उद्दगार ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंlovely lines..
जवाब देंहटाएंLoved the imagery and respect for a mother.
undoubtedly they deserve it.
भावुक कर देने वाली कविता... बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मन की कोमल भावनायो का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये
bahut pyari kavita.dil ko choo gai.
जवाब देंहटाएंBhav chhalak raha hai , bahut sundar
जवाब देंहटाएंकोमल भावनायो का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
माँ से बढ़ कर कोई नहीं ... सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंमाँ के प्रति सुन्दर उद्दगार| सुन्दर रचना है|
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्दों से सजी हुई सुन्दर और मार्मिक रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना ! मन को भाव विभोर कर गयी !
जवाब देंहटाएं‘आँखें बंद करो ‘कहना
मेरा झूठमूठ उन्हें बंद करना |
सारा डर
भाग जाता है
जाने कब सो जाती हूँ
पता ही नहीं चलता |
बचपन की जाने कितनी रातें याद आ गयीं ! बहुत सुन्दर !
Bahut khoobsoorat, badhai
जवाब देंहटाएंमाँ कभी नहीं सोती है सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएं'आँखें बंद करो' कहना.....
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति को आगे बढ़ कर ...............
और मेरा उन्हें चुपचाप बंद करना
............ से जोड़ना
इस कविता में अद्भुत माधुर्य पैदा कर रहा है| बधाई दीदी|
कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
माँ जगती आँखों से अपने नींद पूरी करती है .............माँ पर लिखी गई सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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