कुछ कदम वह चले
और कुछ तुम भी चलो
है इतनी लम्बी डगर
फासले कुछ तो कम होंगे |
तुम्हारी ये नादानियां
जी का जंजाल हों गईं
समझौता विचारों में
किस तरह हों पाएगा |
यदि चल पाए दौनों
चार कदम भी साथ साथ
जिन्दगी का बुरा हाल
ऐसा न हों पाएगा |
जब भी वह झुके
और तुम ना झुक पाओ
बनती बात बिगड़ जाएगी
फिर कुछ भी न हों पाएगा |
आशा
और कुछ तुम भी चलो
है इतनी लम्बी डगर
फासले कुछ तो कम होंगे |
तुम्हारी ये नादानियां
जी का जंजाल हों गईं
समझौता विचारों में
किस तरह हों पाएगा |
यदि चल पाए दौनों
चार कदम भी साथ साथ
जिन्दगी का बुरा हाल
ऐसा न हों पाएगा |
जब भी वह झुके
और तुम ना झुक पाओ
बनती बात बिगड़ जाएगी
फिर कुछ भी न हों पाएगा |
आशा
जब भी वह झुके
जवाब देंहटाएंऔर तुम ना झुक पाओ
बनती बात बिगड़ जाएगी
फिर कुछ भी न हों पाएगा |
....बहुत सार्थक सन्देश देती सुन्दर प्रस्तुति..
कुछ कदम वह चले
जवाब देंहटाएंऔर कुछ तुम भी चलो
है इतनी लम्बी डगर
फासले कुछ तो कम होंगे | बहुत ही सुन्दर एहसास....
जीवन के यथार्थ की ओर संकेत करती सार्थक प्रस्तुति ! बधाई !
जवाब देंहटाएंजब भी वह झुके
जवाब देंहटाएंऔर तुम ना झुक पाओ
बनती बात बिगड़ जाएगी
फिर कुछ भी न हों पाएगा |
सच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत सार्थक सन्देश देती सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंjivan ke sachaayi ko prstut karti rachna....
जवाब देंहटाएंउम्दा संदेश देती रचना....
जवाब देंहटाएं