है मीत ही बावरा उसका ,निमिष में घबरा गया
पाया न सामने जब उसको ,भावना में बह गया |
थी बेचैन निगाहें उसकी ,ना ही धरा पैरों तले
जाने कब तक यूं ही भटका , न पाया जब तक उसे |
भागा हुआ वह गया अपनी ,प्रियतमा की खोज में
पा दूर से ही झलक उसकी ,ठंडक आई सोच में |
आया नियंत्रण साँसों पर , आहट पाकर उसकी
मुस्कानों में खो गया , थी वह जन्नत उसकी |
आशा
पाया न सामने जब उसको ,भावना में बह गया |
थी बेचैन निगाहें उसकी ,ना ही धरा पैरों तले
जाने कब तक यूं ही भटका , न पाया जब तक उसे |
भागा हुआ वह गया अपनी ,प्रियतमा की खोज में
पा दूर से ही झलक उसकी ,ठंडक आई सोच में |
आया नियंत्रण साँसों पर , आहट पाकर उसकी
मुस्कानों में खो गया , थी वह जन्नत उसकी |
आशा
चलिए उसकी घबराहट और चिंता समाप्त तो हुई ! उसे जन्नत मिल गयी हमें भी चैन आ गया ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंbahut pyaari rachna.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
KAFI SUNDAR AHSAAS......
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भाव्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
बहुत बढि़या ।
जवाब देंहटाएंbahut hi achi rachna
जवाब देंहटाएंjai hind jai bharat
badhiya post....utkrisht kriti
जवाब देंहटाएंपा दूर से हे झलक उसकी ठंडक आई सोच में वाह !! बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएं.समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
Matrimonial Service
बहुत सुंदर भावाव्यक्ति बधाई .....
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंSaadar aabhar.