हार जीत होती रहती
जीतते जीतते कभी
पराजय का मुंह देखते
विपरीत स्थिति में कभी होते
विजय का जश्न मनाते |
राजा को रंक होते देखा
रंक कभी राजा होता
विधि का विधान सुनिश्चित होता
छूता कोई व्योम की ऊंचाई
किसी के हाथ असफलता आई |
प्रयत्न है सफलता की कुंजी
पर मिलेगा कितना
होता सब पूर्व नियोजित
होता सब पूर्व नियोजित
उसी ओर खिंचता जाता
प्रारब्ध उसे जहां ले जाता
कठपुतली सा नाचता
भाग्य नचाने वाला होता
हो जाती बुद्धि भी वैसी
जैसा ऊपर वाला चाहता|
कभी जीत का साथ देता
कभी हार अनुभव करवाता
मिटाए नहीं मिटतीं
लकीरें हाथ की
श्वासों की गति तीव्र होती
एकाएक धीमी हो जाती
कभी थम भी जाती
जन्म से मृत्यु तक \
सब पूर्व नियोजित होता
हर सांस का हिसाब होता
उसका लेखा जोखा होता
शायद यही प्रारब्ध होता |
आशा
वाह!!!
जवाब देंहटाएंमिटाए नहीं मिटतीं
लकीरें हाथ की
श्वासों की गति तीव्र होती
एकाएक धीमी हो जाती
कभी थम भी जाती
जन्म से मृत्यु तक \
सब पूर्व नियोजित होता
बहुत सुन्दर रचना आशा जी.
सादर.
यह तुरंती क्षमा सहित-
जवाब देंहटाएंआशा सह विश्वास हैं, जीवन के अस्तंभ ।
प्रभु के आगे व्यर्थ है, नश्वर मानव दंभ ।
नश्वर मानव दंभ, सही दीदी फरमाती ।
लो भी लिखा ललाट, पास वो किस्मत लाती ।
कर ले लेकिन कर्म, मात्र तू प्रभु का पाशा ।
समझो गीता मर्म, करो अच्छे की आशा ।।
बस कर्तव्य करते चलें ....बाक़ी सब प्रभु इच्छा ....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...
बेहतरीन रचना ,मुखर अभिव्यक्ति प्रशंशनीय है / शुभकामनायें जी /
जवाब देंहटाएंजन्म से मृत्यु तक
जवाब देंहटाएंसब पूर्व नियोजित होता
शाश्वत की प्रभावी अभिव्यक्ति....
सादर।
जो पाना चाहे मिले नही
जवाब देंहटाएंजो सोचा नही वो मिल जाता है
भाग्य कहो या कहो प्रारब्ध
यही जिन्दगी कहलाता है।।।।।
अनुपम भाव संयोजन लिए ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंbhawpoorn......
जवाब देंहटाएंजीवन के यथार्थ से रू ब रू कराती एक सशक्त प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना आशा जी ...
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति..आशा जी...
जवाब देंहटाएंवाह ..सटीक शब्दों में अभिव्यक्ति ...बहुत खूब
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