उपजती तरंगें मस्तिष्क में
कभी नष्ट नहीं होतीं
घूमती इर्द गिर्द
होती प्रसारित दूसरों को
बनती माध्यम सोच का
जो जैसा मन में सोचता
वही प्रतिउत्तर पाता
सिंचित तरंगे सद् विचारों से
पहुँचती जब दूसरों तक
प्रतिफलित सद् भाव होता
प्रेम भाव उत्पन्न होता
प्रेम के बदले प्रेम
नफ़रत के बदले नफ़रत
है ऐसा ही करिश्मा उनका
होते जाते अभिभूत पहुंचते ही
किसी धर्म स्थल तक
कुछ अवधि के लिए ही सही
होते ओतप्रोत भक्ति भाव में
अनुभव अपार शान्ति का होता
बड़ा सुकून मन को मिलता
मनोस्थिति होती प्रभावित,
झुकाव धर्म की और
होता
इसे और क्या नाम दें
है यह भी प्रभाव तरंगों का |
आशा
बहुत ही बढ़िया आंटी ।
जवाब देंहटाएंसादर
bahut behtareen...:)
जवाब देंहटाएंbahut sundar shbd snyojan
जवाब देंहटाएंnice presentation aasha ji
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! मन में सदैव सकारात्मक तरंगें उपजें तो आस-पास का वातावरण स्वयमेव अनुकूल हो जाये ! लेकिन ऐसा होता कहाँ है ! मन का आक्रोश. कड़वाहट और नफ़रत सब कुछ बिगाड़ देते हैं ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंतरंगे समूचे व्यक्तित पे प्रकाश डालती हैं ..
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