09 जून, 2013

शब्द प्रपात


जीवन एक झरने सा बहता 
कल कल निनाद करता 
बाधाएं अटल चट्टान सी 
मार्ग में मिलतीं 
टकराता राह बदलता 
पर विचलित ना होता 
निर्वाध गति से आगे बढ़ता
 मार्ग की हर बाधा से 
हो सहष्णु समझौता करता 
मन मुदित होता जब कोइ आता 
अपने मनोभाव जताता 
सुख दुःख मुझसे सांझा करता 
अटूट बंधन प्रेम का 
मेरे उसके बीच का
और प्रगाढ़ होता 
मन वीणा का तार 
अधिक झंकृत होता 
प्रगति पथ पर बढ़ने की
बार बार प्रेरणा देता
मैं निर्झर निर्मल 
शब्द प्रपात हो रहता |
आशा




21 टिप्‍पणियां:

  1. यह शब्द प्रपात इसी तरह निरंतर अविरल बहता रहे और सभी को अपनी मनभावन बूंदों से भिगोता रहे यही कामना है ! बहुत सुंदर एवँ सरस अभिव्यक्ति !

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    1. टिप्पणी हेतु धन्यवाद |मेरा कम्प्युटर ठीक हो गया है |
      आशा

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  2. खूबशूरत अहसास की बेहतरीन प्रस्तुति

    तोड़ कर पत्थर का सीना झूम कर झरना बहा

    प्यरा की सौगात ले बंधुत्व की भाषा बना

    स्नेह की सरिता सरीखे रंग दिया अपनत्व को

    भर मृदुल आगोश में प्यार से जीना कहा , सादर

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    1. टिप्पणी हेतु आभार |पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं |
      आशा

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  3. सुख दुःख मुझसे सांझा करता
    अटूट बंधन प्रेम का
    मेरे उसके बीच का
    और प्रगाढ़ होता
    मन वीणा का तार
    अधिक झंकृत होता
    very nice

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  4. झरना प्रगतिपथ पर बढ़ने का प्रेरणा देता... गहन भाव लिए हुए बहुत अच्छी प्रस्तुति !! सादर ..

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    1. आँख के आपरेशन के कारण अभी कम्प्युटर पर नहीं बैठ पा रही हूँ |

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  6. बहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,आभार।

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  7. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 10/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  8. निर्मल, सुन्दर शब्द प्रपात...
    ... अद्भुत भाव... आभार

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  9. मार्ग की हर बाधा से
    हो सहष्णु समझौता करता
    मन मुदित होता जब कोइ आता
    अपने मनोभाव जताता
    सुख दुःख मुझसे सांझा करता

    बहुत सुन्दर...
    सादर
    अनु

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