आज पुनः आई बहार
चटकी कलियाँ
चटकी कलियाँ
खिले फूल महके गुलाब 
बागवान के आँगन में|
मन पर काबू  नहीं रहा 
हाथ बढा कर  लेना चाहा 
एक फूल उस क्यारी से|
वह तो हाथ नहीं आया 
शूल ने ही स्वागत किया 
नयनों से अश्रु छलके 
उस शूल की चुभन से 
फिर भी मोह नहीं छूटा 
उस पर अधिकार जमाने का | 
बड़ी जुगत से बहुत जतन से 
 केशों में जिसको सजाया 
दर्पण में देखा 
पूंछ ही लिया
पूंछ ही लिया
सच कहना  दौनों में से 
है कौन अधिक सुन्दर ?
वह पहले तो रहा मौन 
फिर  बोल उठा
 हैं
दौनों ही 
 एक से बढ़ कर एक|
फूल तो फूल ही है 
 सुरक्षित कंटक से 
 वह है  उससे भी कोमल
सुन्दर सूरत सीरत वाली
सुन्दर सूरत सीरत वाली
कोई नहीं जिसका  रक्षक |
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बहुत उम्दा प्रस्तुति ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
टिप्पणी हेतु धन्यवाद धीरेन्द्र जी |
हटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंफूल तो फूल ही है
जवाब देंहटाएंसुरक्षित कंटक से
वह है उससे भी कोमल
सुन्दर सूरत सीरत वाली
कोई नहीं जिसका रक्षक |
सच सुन्दर सूरत वाली का कोई रक्षक नहीं |
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
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बहत बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुती आदरेया।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजेन्द्र जी |
हटाएंइस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-22/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -31 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
सूचना हेतु धन्यवाद |
हटाएंफूल तो फूल ही है ….
जवाब देंहटाएंलाज़वाब अभिव्यक्ति …. आभार
संध्या जी बहुत समय बाद आपको देखा है ब्लॉग पर |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
जवाब देंहटाएंफूल तो फूल ही है
सुरक्षित कंटक से
वह है उससे भी कोमल
सुन्दर सूरत सीरत वाली
कोई नहीं जिसका रक्षक---------
बहुत सुंदर रचना कोमल और सुगंधित
सादर
आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों.…
http://jyoti-khare.blogspot.in
टिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंक्या बात है ! बहुत सुंदर प्रस्तुति ! फूल तो फिर फूल ही है ! उसका कोई जोड़ कहाँ !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना |
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
नयनों से अश्रु छलके
जवाब देंहटाएंउस शूल की चुभन से
फिर भी मोह नहीं छूटा
उस पर अधिकार जमाने का | बहुत ही सुन्दर विम्ब................आभार
धन्यवाद नीरज जी |
हटाएंआशा
umda post
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नीलिमा जी टिप्पणी हेतु |
हटाएंसादर प्रणाम |
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति |
सुंदर भावनाए |
सुंदर अभिव्यक्ति |
बहुत ही सुंदर ...अभिव्यक्ति |
फूल जैसे कोमल एहसासों वाली रचना .
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंसुन्दर लेख आशा जी
जवाब देंहटाएंदुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले,
कही जगह न मिली मेरे आशियाने को।
मेरी दुनिया.. मेरे जज़्बात..
खुबसूरत रचना
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