मन से मन की बात यदि ना हो पाए 
मन चाही मुराद यदि मिल न पाए 
मन दुखी तब क्यूं न हो 
बेमौसम का राग वह क्यूँ गाए |
(२)
सुनी गुनी कही बातें 
वजन तो रखती हैं 
पर हैं कितने लोग 
जो उन पर अमल करते हैं |
(३)
पर देखी सिर्फ तानाकशी
खुशी गायब हो गयी
ज्ञान न था दिलों में
इतना विष घुला है
प्यार का तो ऊपरी दिखावा है
हर इंसान का दोहरा चेहरा है |..
(४)
(३)
मैंने सजाई थी महफिल 
  हंसने हंसाने को पर देखी सिर्फ तानाकशी
खुशी गायब हो गयी
ज्ञान न था दिलों में
इतना विष घुला है
प्यार का तो ऊपरी दिखावा है
हर इंसान का दोहरा चेहरा है |..
(४)
 मधुमास में
पतझड़ की बातें
शोभा नहीं देतीं
खुशी के आलम में
उदासी भर देतीं |
आशा
पतझड़ की बातें
शोभा नहीं देतीं
खुशी के आलम में
उदासी भर देतीं |
आशा

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ... बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
टिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंbhut ache.
जवाब देंहटाएंvinnie
टिप्पणी हेतु धन्यवाद
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