18 मई, 2014

माँ (हाईकू )

११.५.२०१४
मेरी जननी 
प्रिय जान से मुझे
जैसे अवनी |

प्रथम गुरू
हो सुबह मेरी माँ
तुझसे शुरू |

माँ का आँचल
भरा है ममता से
रिक्त न होता |
आशा

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-05-2014) को "मिलेगा सम्मान देख लेना" (चर्चा मंच-1617) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. बहुत सुन्दर !दूसरा हाइकू दूसरी पंक्ति एकबार पड़ लें |
    latest post: रिस्ते !

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    उत्तर
    1. मैंने अपनी भूल सुधार ली है |टाइप करते समय यह त्रुटि रहा गयी |
      टिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |

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  3. सुन्दर ... माँ का स्पर्श लिए सभी हाइकू ...

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  4. बहुत सुंदर हाईकू ! बढ़िया !

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  5. प्यारे हाइकू !! मंगलकामनाएं आपको !

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