एक मशीन कलपुर्जे अनेक 
तालमेल सब में ऐसा 
वह सतत सेवा देती 
पूरी क्षमता से कार्य करती |
धीरे धीरे पुर्जे घिसते 
कार्यक्षमता प्रभावित होती 
चाहे जब रुक जाती 
चलने में नखरे लगाती |
समय समय पर सेवा चाहती 
रखरखाव यदि अच्छा होता 
ठीक ठाक बनी रहती 
अधिक समय तक सेवा देती |
हाल मनुज का यदि देखें 
बहुत साम्य दिखाई देता 
उसे भी उपचार चाहिए 
आये दिन अवकाश चाहिए |
एक शरीर अवयव अनेक 
जब तालमेल आपस में रहता 
चंचल चपल बना रहता 
जीवन सहज सरल होता |
धीमी गति से वय  बढ़ती 
पुर्जे धिसते टूट फूट होती 
शरीर चकित थकित सा 
सोचता यह क्या हुआ |
कार्य क्षमता धटने लगी 
बीमारी खोज ली उसने 
बुढापा चुपके से आता है 
पर परिवर्तन बड़े लाता है |
बीमारी वृद्धावस्था की 
 है आम सभी में 
जिसे लग जाती है 
जान ले कर ही जाती है |
उसे भी अकारथ  मशीन सा  
बेकार समझा जाता है 
सामान्य जीवन के लिए
 अवांछित हो जाता है |
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