अस्थिर मन वह खोज रहा 
अपने प्यार की मंजिल 
भटक गया था राह से 
घिर कर आपदाओं से |
अब खोजता 
बाधा विहीन सुगम सरल 
सहज मार्ग 
उस तक पहुँचने का |
है मन में खलबली 
कहाँ जाए किधर जाए 
कहीं वह भूली तो न होगी 
जाने क्या सोचती होगी |
क्या सजा देगी वादा खिलाफ़ी की 
समय पर पहुँच न सका 
इतनी सरल भी नहीं 
की बातों पर विश्वास कर ले |
नाराजगी उसकी झेलना 
 इतना
 नहीं आसान 
मान भी गई यदि 
मन में तो दुखी होगी |
बेचैनी जाती नहीं 
प्रश्न पीछा नहीं छोड़ते 
कैसे उबर पाए 
उस तक पहुँच पाए |

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