01 दिसंबर, 2014

बंधन अटूट



प्रेम की मिसाल थे
बंधन अटूट दौनों का
दो जिस्म एक जान
 हुआ करते थे  
हल्का सा दर्द भी
 सह न पाते थे
अलगाव से
 बेहाल होते 
यही तो कुछ था  भिन्न
सबसे अलग
  सबसे जुदा
गम जुदाई 
सह न पाते 
मरणासन्न से हो जाते
सदा साथ  रहते देखा
   कुदृष्टि  पड़ गई किसी की
जीवन में विष घुला
सारी शान्ति हर ले गया
जीवन निरर्थक लगा
प्रेम की चिड़िया
 कूच कर गई 
एक की इहलीला 
समाप्त हो गई 
हादसा सह  नहीं पाया 
खुद की जान से गया
और घरौंदा खाली हुआ
क्या सच्चा प्यार
 यही कहलाता
विचारों पर हावी हुआ |
आशा

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