यमुना तीरे कदम तले
राधा का रूठना
कान्हां का निहोरे करना
कितना रमणीय होता
प्रेम और भक्ति का मिलना
ना कोई छल ना कपट
ना ही दिखावा
कहीं से कहीं तक
केवल सत्य की पराकाष्टा
समस्त सचराचर में
रूठना कोई दिखावा नहीं
थी मन की अभिव्यक्ति
मनमोहन का मनाना
प्रेम की थी परणीति
आत्मा से आत्मा का
अभिनव मिलन है प्रेम
उद्दात्त भाव की अनुपम
मिसाल इहलोक में
है आत्मिक झलक
भक्ति की शक्ति की
प्रेम की अभिव्यक्ति की |
आशा
राधा का रूठना
कान्हां का निहोरे करना
कितना रमणीय होता
प्रेम और भक्ति का मिलना
ना कोई छल ना कपट
ना ही दिखावा
कहीं से कहीं तक
केवल सत्य की पराकाष्टा
समस्त सचराचर में
रूठना कोई दिखावा नहीं
थी मन की अभिव्यक्ति
मनमोहन का मनाना
प्रेम की थी परणीति
आत्मा से आत्मा का
अभिनव मिलन है प्रेम
उद्दात्त भाव की अनुपम
मिसाल इहलोक में
है आत्मिक झलक
भक्ति की शक्ति की
प्रेम की अभिव्यक्ति की |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: