उत्साह की सीमा न थी 
नया बस्ता नई पुस्तकें  
खोलने की जल्दी थी |
नए गणवेश में सजे  थे 
नया लंच बॉक्स भी लिए थे 
खुशी का ठिकाना न था 
नई कक्षा में जाना था |
फिर भी मिल ही गए 
यहाँ भी नए पुराने मित्र 
बातों का सिलसिला 
थमने का नाम न लेता था |
घंटी की आवाज  सुनी 
टूटी तंद्रा पहुचे प्रार्थना कक्ष में
टूटी तंद्रा पहुचे प्रार्थना कक्ष में
वही उद्बोधन घिसापिटा
सुनते सुनते  उकताने लगे |
सोचा जब सभी कुछ नया था 
फिर भाषण पुराना क्यूं 
कल से फिर वही शिक्षक होंगे 
वही कक्षा कार्य वही डांट |
क्या कोई तरीका नहीं है 
नए  ढंग से अध्यन का   
हर क्षेत्र में परिवर्तन दीखते 
फिर शिक्षा में क्यूं नहीं ?
आशा 
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