धरती जागी 
अम्बर जागा 
पृथ्वी  का कण कण
हुआ चेतन |
पर एक नन्हीं चिड़िया 
नहीं उड़ी
ना ही चहकी 
वह थी उदासी से घिरी |
कारण मौन का 
स्पष्ट था 
बिना दाना पानी के 
वह थी  उदास |
पास आ प्यार जताया 
वह कसमसाई 
हलकी सी जुम्बिश हुई 
चौच उसकी खुली |
वह जान गया 
वह भूखी थी 
पानी भी न मिला होगा 
कैसे क्षुधा शांत करती |
कुछ दाने 
कुछ पानी एक कटोरी में 
जल्दी से ले आया 
दाना उसे चुगाया |
चेतना जाग्रत हुई 
पंख फैला उड़ चली 
मधुर सुर गुनगुनाती 
संतुष्टि का भाव लिए |
 मनोभाव जताएअपने  
दाना पानी के लिए 
दयाभाव रखने के लिए 
पक्षी प्रेम के लिए |
आशा 
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