सीमा पर आये दिन 
हादसे होते रहते है 
माँ की ममता लिपटी ध्वज में 
चिर निद्रा में सो जाती  |
एक तमगा मरणोपरांत 
सैनिक को मिलता है 
परिवार को भेट किये जाते है
चन्द सिक्के उसके बाद |
आखिर कब तक सरहद पर 
यह खूनी होली जलती रहेगी 
अमन चैन छिनता रहेगा 
माँ की गोद सूनी होगी |
हर वर्ष शहादतें सैनिकों की 
सहन करना अब मुश्किल 
सीमा विवाद हल न होता 
न कल हुआ न आज |
अमन की बातें रहतीं 
 केवल कागजों पर 
विवाद के जबाब में 
एक कड़ा विरोध पत्र |
वह भी डाल दिया जाता 
किसी ठन्डे बस्ते में 
भुला दिया जाता 
अगले वार के होने तक |
जानें कितनी जानें जातीं 
पर नेता अपनी रोटी सकते 
व्यर्थ समय बर्बाद करते 
केवल बहस बाजी में |
आशा 
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