रंग भरा जीवन सुहाना 
हरा भरा संगीत पुराना 
जाने कब बेरंग हो गया 
स्वर बेस्वर हो गया 
मन में मलाल रहा 
कारण जो छिपा हुआ था 
अदृश्य ही रहा 
ऐसा क्या घटित हुआ 
उफान आया 
छोटी सी तलैया में
ना ही कभी भ्रम पाला 
ना दी तरजीह किसी शक को 
दूरियां बढ़ती गईं 
खाई और गहरी हुई 
उलझने वहीं रहीं 
द्रुत गति से बढ़ने लगीं 
सारे रंग धूमिल हुए 
जाने कहाँ खो गए 
रह गया जीवन आधा अधूरा 
 बेरंग बेजान सा 
खोज न उसकी हो पाई 
समय की भी  दी दुहाई
हाथ से फिसल गया 
बापिस लौट नहीं पाया
 रंग भरे जीवन का साया |
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