विलक्षण बेवाक बेमिसाल
अद्वितीय हुस्न की मलिका 
ज़माना उससे है 
वह जमाने से नहीं |
यूं तो साँसों पर 
पहरा लगा है 
पर अवसर एक 
सुनहरा मिला है |
जिन्दगी जीने की चाहत 
उसे खीच रही है 
 आशा निराशा के झूले में 
झूल रही है |
दुःख तो मिल ही जाते हैं
अवसर सुख के कम होते हैं
झूल रही है |
दुःख तो मिल ही जाते हैं
अवसर सुख के कम होते हैं
सुख की वही  तलाश 
अभी बाक़ी है | 
गरल पी कर 
नील कंठ होता मन  
अमृत तक पहुँच
अभी शेष है|
अमृत तक पहुँच
अभी शेष है|
कौन अपना कौन पराया 
यही तो जानना है 
गैरों की भीड़ में  
अपनों को पहचानना है |
हम से वह है
फिर भी है  सबसे जुदा 
किसी का अक्स नहीं 
मिलावट की बू नहीं |
जिन्दगी की कठिन डगर पर
चलने की चाह है
है सौंदर्य की प्रतिमा
जिन्दगी की कठिन डगर पर
चलने की चाह है
है सौंदर्य की प्रतिमा
प्राण प्रतीष्ठा बाक़ी है |
आशा 
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