तन्हाई के आलम में
खुद के ही कमरे में
अकेलापन खलने लगा
कुछ करने का मन न हुआ
बेहद अकेला जो हो गया
खोने लगा विचारो में
सजने लगे स्वप्न दृष्टि पटल पर
गुजरने लगे चित्र एक के बाद एक
रंगीन स्वप्न होने लगे
मेरा साया भी मुझसे हुआ दूर
मैं सोचने पर बाध्य हुआ
ऐसा क्या हो गया
जो सबसे दूर होता गया
जाने कब प्यार के बंधन टूटे
लगा बंधन मुक्त हुआ
पर यह मेरी गलतफ़हमी थी
जाने वाले चले गए
मैं नितांत अकेला रह गया
अब मैं मेरा कमरा और तन्हाई
मुझे रास नहीं आती
बीते कल में ले जाती
वे यादें बनी सहारा
वे भी धूमिल होने लगीं
जिन्दगी बोझ लगने लगी
मैं सिमटने लगा अपने आप में
तलाशने लगा वह यामिनी
जहां सुकून से रह पाऊँ
जीने का सहारा खोज पाऊँ
बीते कल के स्वप्नों में |
आशा
खुद के ही कमरे में
अकेलापन खलने लगा
कुछ करने का मन न हुआ
बेहद अकेला जो हो गया
खोने लगा विचारो में
सजने लगे स्वप्न दृष्टि पटल पर
गुजरने लगे चित्र एक के बाद एक
रंगीन स्वप्न होने लगे
मेरा साया भी मुझसे हुआ दूर
मैं सोचने पर बाध्य हुआ
ऐसा क्या हो गया
जो सबसे दूर होता गया
जाने कब प्यार के बंधन टूटे
लगा बंधन मुक्त हुआ
पर यह मेरी गलतफ़हमी थी
जाने वाले चले गए
मैं नितांत अकेला रह गया
अब मैं मेरा कमरा और तन्हाई
मुझे रास नहीं आती
बीते कल में ले जाती
वे यादें बनी सहारा
वे भी धूमिल होने लगीं
जिन्दगी बोझ लगने लगी
मैं सिमटने लगा अपने आप में
तलाशने लगा वह यामिनी
जहां सुकून से रह पाऊँ
जीने का सहारा खोज पाऊँ
बीते कल के स्वप्नों में |
आशा
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