Akanksha -asha.blog spot.com
18 जून, 2016
वह सोचती
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खिड़की के भीतर झांकती
फिर सोच में डूबी डूबी सी
धीरे से कदम पीछे हटाती
यह मेरा नहीं है न कभी होगा
कमरा है भैया का उसी का रहेगा |
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