वह है माँ तेरी
हर समय फ़िक्र तेरी करती
छोटी बड़ी बातें तेरी
उसके मन में घर करतीं
वह जानती तेरी इच्छा
पूरी जब तक नहीं होती
बेफ़िक्र नहीं हो पाती
सुबह से शाम तक
वह बेचैन ही बनी रहती
उसकी ममता तू क्या जाने
जब तक न हो एहसास तुझे
मां का मन कैसा होता
जब तू हंसती है
निहाल वह तुझ पर होती
तेरे अश्रु देख
मन उसका दुखी होता
तू नहीं जानती
मन मॉम के जैसा होता
तभी पिघलने लगता है
आठ आठ आंसू रोता है
जब कष्ट में तू होती है |
आशा
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